LLB Course : सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर कहा गया है कि बैचलर ऑफ लॉ (Bachelor of Law) कोर्स के लिए 05 साल की अवधि उचित नहीं है। याचिका में LLB Course की पांच साल की अवधि को अनुचित बताते हुए इसे अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन बताया गया है। जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि पांच साल के LLB Course के कारण छात्रों को न केवल अधिक फीस देनी होगी। बल्कि कीमती समय भी बर्बाद करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एलएलबी कोर्स को 5 साल से घटाकर 3 साल करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने भी टिप्पणी की कि मुझे लगता है कि एलएलबी पाठ्यक्रम 5 साल से अधिक समय तक चलना चाहिए। आपको बता दें कि वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर की थी।
जनहित याचिका में यह मांग की गई
जनहित याचिका में कहा गया है कि जहां 12वीं के बाद के छात्रों के लिए LLB Course 5 साल की अवधि का है, वहीं दूसरी ओर 3 साल का कानून पाठ्यक्रम केवल स्नातकों के लिए उपलब्ध है। जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्र और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) को 12वीं कक्षा के बाद बैचलर ऑफ साइंस (Bachelor of Science) और बैचलर ऑफ कॉमर्स (Bachelor of Commerce) जैसे 3 साल के बैचलर ऑफ लॉ (Bachelor of Law) पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्देश दिया जाएगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर करते हुए तर्क दिया कि 12वीं के बाद छात्र 03 साल (6 सेमेस्टर) में 15-20 विषय आसानी से पढ़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में बैचलर ऑफ लॉ (Bachelor of Law) के लिए 05 वर्ष की अवधि अतार्किक एवं अतार्किक है। यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करती है।
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