मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले का मोरवा शहर देश-दुनिया की सुर्खियों में है, क्योंकि यहां एशिया का सबसे बड़ा शहरी विस्थापन शुरू होने जा रहा है। कोयला खनन के विस्तार के लिए पूरे शहर को ही हटाया जा रहा है, जिसमें लगभग 20,000 से 22,000 घर और इमारतें धराशायी होंगी और करीब 50,000 से एक लाख लोगों को नई जगह बसाया जाएगा।
यह विस्थापन नार्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (NCL) द्वारा किया जा रहा है, जिसका मकसद कोयला उत्पादन बढ़ाना है।
मुख्य बिंदु : Highlights
- विस्थापन का आकार : मोरवा में लगभग 20,000 से 22,000 घर और इमारतें तोड़ी जाएंगी, जिससे 50,000 से एक लाख लोग प्रभावित होंगे।
- क्यों हो रहा है मोरवा का विस्थापन : जमीन के नीचे कोयले का विशाल भंडार होने के कारण यह आवश्यक माना गया है। मोरवा आवासीय इलाके में करीब 600 मिलियन टन कोयले का भंडार है।
- विस्थापन के लिए समयसीमा : विस्थापन का कार्य 2032 तक पूरा होने की उम्मीद है।
- पुनर्वास : निवासियों को नई जगह बसाया जाएगा और सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा, हालांकि मुआवजे की राशि और पुनर्वास की योजना को लेकर अभी भी सवाल बने हुए हैं।
- आर्थिक महत्व : मोरवा आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, यहां रेलवे स्टेशन, कोल माइंस और कई सुविधाएं मौजूद हैं।
- विस्थापन का विरोध : स्थानीय लोगों ने विस्थापन और पुनर्वास की प्रक्रिया को लेकर आवाज उठाई है, क्योंकि कई लोगों के पास जमीन के कागजात नहीं हैं और उन्हें मुआवजा मिलने की उम्मीद कम है