नई दिल्ली, 18 अगस्त 2025 : राजधानी के संसद परिसर में आज सुबह विपक्षी INDIA गठबंधन की एक अहम बैठक हुई, जिसमें चुनाव आयोग के मुखिया ज्ञानेश कुमार को पद से हटाने के लिए महाभियोग लाने की संभावनाओं पर विचार हुआ। यह ऐतिहासिक कदम चुनावी प्रक्रिया में कथित धांधली और सत्ता पक्ष को अनुचित लाभ देने के आरोपों से उपजा है।
क्या है विपक्ष का आधार?
विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग, विशेषकर ज्ञानेश कुमार, सत्ता पक्ष यानी भाजपा के पक्ष में फैसले लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं के मुताबिक, बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष Revision (SIR) और कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में भारी अनियमितताओं के संकेत मिले हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ भी इसी मुद्दे को उजागर करती है, जो बिहार के 20 जिलों में 1,300 किमी की दूरी तय करेगी.
क्या है महाभियोग की प्रक्रिया?
मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का कदम इतना आसान नहीं है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 324(5) के तहत, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह ही – दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से – “अप्रमाणित आचरण या अक्षम्यता” के आधार पर ही हटाया जा सकता है। संसद के मौजूदा मानसून सत्र में विपक्ष के पास महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने के लिए सिर्फ चार दिन हैं।
आरोप और प्रत्यारोप
हाल ही की प्रेस वार्ता में ज्ञानेश कुमार ने “वोट चोरी” के आरोपों को संविधान का अपमान बताया, और राहुल गांधी से आरोपों को प्रमाणित करने या देश से माफी माँगने की मांग की। विपक्ष ने पलटवार करते हुए चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया और भाजपा सांसदों पर भी यही सवाल उठाया कि उनके आरोपों की जाँच क्यों नहीं होती है।
भाजपा का जवाब
सत्ता पक्ष ने विपक्ष की महाभियोग तैयारी को हास्यास्पद बताया। भाजपा के वरिष्ठ सांसदों ने इसे लोकतंत्र का उपहास करार देते हुए विपक्ष पर “बिना आधार के आरोप” लगाने का आरोप लगाया।