मध्य प्रदेश के सीधी जिले के एक छोटे से गांव में सड़क की मांग ने पूरे प्रदेश का ध्यान खींच लिया है। गर्भवती लीला साहू पिछले एक साल से अपने गांव तक सड़क बनवाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। उनका वीडियो वायरल होने के बाद अब यह मुद्दा सियासी बहस का केंद्र बन गया है।
एक साल से जारी है संघर्ष
लीला साहू ने सबसे पहले जुलाई 2024 में वीडियो बनाकर प्रशासन और नेताओं से गांव तक सड़क बनवाने की अपील की थी। उस समय उन्हें आश्वासन मिला था कि जल्द सड़क बनेगी, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी हालात जस के तस हैं। गांव के लोग आज भी कीचड़ और गड्ढों से भरी 10 किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क से गुजरने को मजबूर हैं, जिससे खासकर गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को भारी परेशानी होती है।
सांसद का विवादित बयान
लीला के ताजा वीडियो के जवाब में, बीजेपी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने कहा,
“डिलीवरी की संभावित तारीख बता दो, हम एक हफ्ते पहले अस्पताल में भर्ती करा देंगे। एंबुलेंस और अस्पताल की सुविधा उपलब्ध है।”
सांसद ने यह भी जोड़ा कि सड़क बनवाना उनका काम नहीं, बल्कि इंजीनियर और ठेकेदारों का है। साथ ही, उन्होंने पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि सीधी से पिछले कार्यकाल में भी बीजेपी की ही सांसद थीं।
जमीनी हकीकत और ग्रामीणों का दर्द
गांव की करीब 6 महिलाएं गर्भावस्था में हैं। बरसात के मौसम में रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने सांसद को वोट दिया, सरकार से उम्मीद की, लेकिन अब तक कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
लीला साहू का कहना है,
“अगर सड़क नहीं बनी और कोई हादसा हुआ, तो सरकार जवाबदेह होगी।”
क्या आगे बदलेगा हाल?
यह मामला सिर्फ एक गांव या एक महिला का नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास और प्रशासनिक जवाबदेही का बड़ा सवाल है। सोशल मीडिया पर उठी यह आवाज अब पूरे प्रदेश में गूंज रही है। अब देखना होगा कि सरकार इस बार सिर्फ जवाब देती है या सच में सड़क बनवाने की पहल करती है










