मध्यप्रदेश के सीधी जिले में कोर्ट के आदेश पर 10 आदिवासी परिवारों के घर तोड़ दिए गए हैं। यह कार्रवाई डैनीहा गांव में की गई, जहां करीब आठ दशक से 100 आदिवासी परिवार रह रहे थे। प्रशासन और पुलिस की टीमों ने बुधवार, 28 मई 2025 को इन परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाकर उन्हें बेघर कर दिया। पीड़ित परिवार अब छोटे बच्चों सहित खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
यह मामला लगभग 20 साल पुराना है। भू-स्वामी मृगेंद्र सिंह ने जमीन पर अपना दावा पेश करते हुए अतिक्रमण हटाने की मांग की थी। कोर्ट ने 2020 में फैसला सुनाया था, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी। अप्रैल 2024 में मृगेंद्र सिंह ने पुनः कोर्ट में आवेदन दिया, जिसके बाद 7 मई 2025 को कोर्ट ने आदेश दिया। प्रशासन ने इसी आदेश के तहत 28 मई को यह कार्रवाई की।
स्थानीय आदिवासी लखन कोल ने बताया कि उन्हें मकान खाली करने का नोटिस केवल एक दिन पहले मिला था। वे पढ़े-लिखे नहीं हैं और समझ पाते उससे पहले ही उनके घर तोड़ दिए गए। यह जमीन शहर के बीचों-बीच है और इसकी बाजार कीमत 2 करोड़ से अधिक बताई जा रही है।
घर उजड़ने के बाद पीड़ित परिवार कलेक्टर बंगले पहुंचे। प्रशासन ने 40-45 लोगों को अस्थायी आश्रय केंद्र में रखा और भोजन-पानी की व्यवस्था की, लेकिन बाकी लोग मलबे के आसपास ही रात गुजारने को मजबूर हैं। 76 वर्षीय खेरई कोल ने कहा कि उनके पूर्वज इसी जमीन पर रहते थे, लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी। वे अब अपनी बकरियों के साथ रैन बसेरे में शरण लिए हुए हैं।
प्रशासन ने तत्काल पुनर्वास का कोई ठोस प्लान नहीं बताया है, हालांकि जल्द व्यवस्था करने का आश्वासन दिया जा रहा है। स्थानीय विधायक रीति पाठक इस घटना से अनजान हैं।
मध्य प्रदेश सरकार लगातार हमारे आदिवासी भाइयों पर अत्याचार कर रही है।
सीधी ज़िले के डेनीहा गाँव में 7–8 दशकों से अपनी ज़मीन पर रह रहे कोल आदिवासियों के घरों पर रातों-रात बुलडोज़र चला दिया गया।
आख़िर मोहन सरकार की संवेदना कहाँ चली गई है?
क्या आदिवासियों के घर उजाड़ना भी मोदी की… pic.twitter.com/CgxO0vg3To
— Kamleshwar Patel (@mrkamleshwar) May 29, 2025