सिंगरौली। जिले के बासी बेरदहा क्षेत्र में कथित पेड़ कटाई के बीच बुधवार का दिन एक नज़ारा बन गया—जब कांग्रेस सिर्फ विरोध नहीं कर रही थी, बल्कि पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत “ग्रीन जस्टिस मोर्चे” की तरह खड़ी दिखाई दी। सुबह राजधानी से रवाना हुई 12 सदस्यीय कांग्रेस जांच टीम जैसे ही सिंगरौली पहुंची, पुलिस ने उन्हें घिरौली गांव के पास रोक दिया। लेकिन टीम ने रुकना नहीं चुना— बल्कि सड़क को ही लोकतंत्र का मंच बना दिया।
जिले के के बासी बेरदहा क्षेत्र में कथित पेड़ कटाई के बीच कांग्रेस ने बुधवार को ऐसा कदम उठाया, जिसने पूरे इलाके में पर्यावरण संरक्षण पर नई बहस छेड़ दी। सुबह पहुंची 12 सदस्यीय कांग्रेस जांच टीम को जब पुलिस ने बीच रास्ते में रोक दिया, तो टीम पीछे नहीं हटी—बल्कि घिरौली गांव की सड़क पर ही लोकतांत्रिक धरना शुरू कर दिया। करीब 200 से ज्यादा कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस नेताओं का यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन प्रशासन को भी सोचने पर मजबूर कर गया।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ‘राहुल भैया’ ने कहा— “हमारी लड़ाई सिर्फ पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों के लिए है। रोक-टोक लोकतंत्र में जवाबदेही नहीं रोक सकती।”
जीतू पटवारी ने कहा कि कांग्रेस का उद्देश्य स्पष्ट है— “जनता की जमीन, जंगल और अधिकारों की सुरक्षा को लेकर हमारी लड़ाई हर स्तर पर जारी रहेगी। अगर सब कुछ नियमों के अनुसार हो रहा है तो जांच में पारदर्शिता क्यों नहीं?” कांग्रेस की प्राथमिकता आदिवासी परिवारों के अधिकार, पर्यावरण संरक्षण और प्रशासनिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
मध्य प्रदेश की राजनीति में नया विवाद तब खड़ा हो गया जब कांग्रेस के CWC सदस्य कमलेश्वर पटेल ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बासी बेरदहा क्षेत्र में प्रवेश करने से कांग्रेस नेताओं को रोका जा रहा है, जबकि संविधान स्पष्ट रूप से नागरिकों को देश में स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार देता है। कमलेश्वर पटेल ने बयान में कहा: “भारत का संविधान अनुच्छेद 19(1)(d) नागरिकों को देश में कहीं भी आने-जाने का अधिकार देता है और 19(1)(e) कहीं भी रहने का अधिकार देता है। फिर किस कानून के तहत हमें बासी बेरदहा जाने से रोका जा रहा है? क्या हम आतंकवादी हैं? क्यों पूरे गाँव में महीनों से पुलिस तैनात है? मध्य प्रदेश संविधान से चलेगा या अडानी की मर्ज़ी से?”










