सिंगरौली, मध्यप्रदेश। सिंगरौली जिले के धिरौली कोल ब्लॉक के बासी बेरदहा क्षेत्र में अडानी कंपनी द्वारा तेजी से हो रही बड़े पैमाने की पेड़ कटाई अब राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गई है। पर्यावरणीय क्षति, वन संपदा के विनाश और स्थानीय आदिवासी आबादी पर मंडराते विस्थापन के खतरे को गंभीर मानते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने एक विशेष तथ्य-अन्वेषण समिति का गठन किया, जो 10 दिसंबर को सिंगरौली पहुंचकर ग्राउंड जीरो पर हालात का आकलन कर वापस लौट गई।
कांग्रेस का आरोप है कि धिरौली कोल ब्लॉक में अडानी कंपनी द्वारा पेड़ों की कटाई हो है, जिससे पर्यावरण और जैव विविधता दोनों पर भारी असर पड़ रहा है। पार्टी नेताओं ने दावा किया कि हजारों पेड़ न सिर्फ काटे जा रहे हैं बल्कि उन्हें जड़ों समेत उखाड़कर निशान तक मिटाए जा रहे हैं, जिससे भविष्य में किसी जांच के दौरान प्रमाण भी न मिल सकें।
ग्राम सभाओं और पर्यावरण कानूनों की अनदेखी का आरोप
कांग्रेस की तथ्य-जांच टीम ने आरोप लगाया कि इस पूरे प्रोजेक्ट में ग्राम सभाओं की सहमति, सार्वजनिक सुनवाई, वन संरक्षण अधिनियम और पर्यावरणीय मंजूरी जैसे अनिवार्य प्रावधानों को गंभीर रूप से नजरअंदाज किया गया है।
टीम के अनुसार, यह मामला न केवल कानूनी जांच का विषय है बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील है क्योंकि सिंगरौली का यह वन क्षेत्र आदिवासी समुदाय, वन्यजीवों और प्राकृतिक जल स्रोतों के लिए जीवनरेखा माना जाता है।

अधिकारी, कर्मचारी, पुलिस, अडानी की सेवा में – जीतू पटवारी
मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने स्थिति को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि लगभग 10 हजार एकड़ पहाड़, जंगल और जमीन अडानी समूह को सौंप दी गई है, जबकि आवश्यक परमिशन का कोई पारदर्शी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
जीतू पटवारी के अनुसार
- आदिवासी परिवारों को मात्र 4 लाख रुपये मुआवजा दिया गया
- वहीं अन्य वर्गों को 16 लाख रुपये तक मुआवजे की व्यवस्था
- जंगल क्षेत्र में 2,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात
- पेड़ कटाई स्थल के आसपास 25 स्थानों पर बटालियन की निगरानी
उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हुए कहा कि ‘‘प्रशासन लोगों की सुरक्षा करने के बजाय कंपनी के लिए काम करता हुआ दिख रहा है।’’
जांच टीम में शामिल प्रमुख नेता
AICC की तथ्य-अन्वेषण समिति में
- जीतू पटवारी
- उमंग सिंघार
- अजय सिंह (राहुल भैया)
- विक्रांत भूरिया
- जयवर्धन सिंह
- मीनाक्षी नटराजन
- हेमंत कटारे
- बाला बच्चन
- हिना कावरे
- ओंकार मरकाम
- कमलेश्वर पटेल
सभी नेताओं ने सर्वसम्मति से पेड़ कटाई पर तत्काल रोक, पर्यावरणीय प्रभाव का स्वतंत्र वैज्ञानिक मूल्यांकन, तथा जिम्मेदार अधिकारियों और कंपनी पर कठोर कार्रवाई की मांग की।
टीम ने निरीक्षण के बाद संयुक्त रूप से कहा कि
- पेड़ों की कटाई तुरंत रोकी जाए।
- संपूर्ण प्रक्रिया की हाई-लेवल जांच हो।
- पर्यावरणीय और वन कानूनों के उल्लंघन पर जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।
- आदिवासी समुदाय की सुरक्षा और पुनर्वास को प्राथमिकता दी जाए।
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मुद्दा क्यों महत्वपूर्ण है?
सिंगरौली भारत के सबसे संवेदनशील पर्यावरणीय क्षेत्रों में से एक है, जहां पहले ही औद्योगिक प्रदूषण और खनन का दबाव भारी है।
बड़े पैमाने की पेड़ कटाई जलवायु परिवर्तन, तापमान वृद्धि, जल स्रोतों के सूखने और वन्यजीवों के अस्तित्व पर सीधा प्रभाव डालती है।
यह मामला आदिवासी अधिकारों, पर्यावरणीय न्याय और कॉर्पोरेट जवाबदेही जैसे राष्ट्रीय मुद्दों से जुड़ा है।










