आज के डिजिटल युग में, पैसों का खेल सिर्फ़ नकदी और बैंक खातों तक सीमित नहीं है। इसका दायरा Email, Digital Wallets, Cryptocurrencies और Cloud Storage तक फैला हुआ है।
इसी को देखते हुए, 11 अगस्त को लोकसभा द्वारा पारित नए आयकर विधेयक में धारा 132 में एक बड़ा बदलाव किया गया है। इसके साथ ही, कर अधिकारी अब किसी व्यक्ति के Digital Record की जाँच कर सकते हैं। हालाँकि, इस शक्ति का इस्तेमाल तभी किया जा सकता है जब कोई आधिकारिक सर्च और सीजर ऑपरेशन हो और टैक्सपेयर एक्सेस देने से इनकार कर दे।
Whatsapp से लेकर Digital Wallet तक, सबकी होगी जाँच
अब आयकर विभाग के पास तलाशी के दौरान ईमेल, क्लाउड अकाउंट, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया अकाउंट, डिजिटल बैंकिंग ऐप और क्रिप्टो होल्डिंग्स जैसे डेटा तक पहुँचने की पावर होगी। अगर यह पासवर्ड या एन्क्रिप्शन से लॉक है और मालिक एक्सेस नहीं देता है, तो जाँच एजेंसी इसे बायपास कर सकेगी।
पहले ऐसा प्रावधान क्यों नहीं था?
1961 का आयकर अधिनियम उस समय बनाया गया था जब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म या तो मौजूद नहीं थे या उनका इस्तेमाल बहुत कम होता था। इससे डिजिटल दुनिया में छिपे धन या संपत्ति का पता लगाना मुश्किल हो गया था। नए बदलावों ने इस कमी को पूरा किया है।
आम करदाताओं के लिए राहत
CBDT के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा, “पावर सिर्फ सर्च ऑपरेशन में और तभी इस्तेमाल होगी जब टैक्सपेयर जानकारी देने से मना करे। इसका मतलब है कि ईमानदार और कंप्लायंट टैक्सपेयर की प्राइवेसी पर कोई खतरा नहीं है।”
सरकार का कहना है कि ये बदलाव कर चोरी रोकने और डिजिटल अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए किए गए हैं। क्रिप्टो और वर्चुअल खातों में छिपी आय का अब आसानी से पता लगाया जा सकेगा। इससे कर प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा और सभी क्षेत्रों में समानता बनी रहेगी।










