कांचीवरम सिल्क साड़ी – इतिहास, खासियत और असली पहचान

By: Shabana Parveen

On: Thursday, August 14, 2025 10:08 AM

Google News
Follow Us

Kanchivaram Silk Sarees: कांचीवरम सिल्क साड़ियाँ भारतीय संस्कृति और परंपरा की एक धरोहर हैं जिनकी देश भर में अपनी एक विशिष्ट पहचान है। इसे भारत की सबसे प्राचीन और सुंदर साड़ियों में से एक माना जाता है। तमिलनाडु के कांचीवरम शहर में बनी यह साड़ी न केवल अपनी उत्कृष्ट कारीगरी के लिए, बल्कि अपनी टिकाऊ गुणवत्ता के लिए भी प्रसिद्ध है। कांचीवरम साड़ी का नाम सुनते ही साड़ी प्रेमियों की आँखें चमक उठती हैं। आज इस लेख में हम आपको कांचीवरम सिल्क साड़ियों से जुड़ी रोचक जानकारी देंगे।

कांचीवरम साड़ियों का इतिहास

कांचीवरम साड़ियों का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है। ये साड़ियाँ चोल, पल्लव और विजयनगर साम्राज्यों के शासनकाल से जुड़ी हैं, जिन्होंने कांचीपुरम को एक समृद्ध सांस्कृतिक और व्यापारिक केंद्र बनाया। स्थानीय कारीगरों द्वारा बुनी गई ये साड़ियाँ शाही आकर्षण को दर्शाती हैं। कहा जाता है कि यहाँ के कारीगर विश्वकर्मा समुदाय से जुड़े हैं, जो अपनी पारंपरिक बुनाई कला के लिए प्रसिद्ध हैं।

कांचीवरम सिल्क साड़ी – इतिहास, खासियत और असली पहचान

कांचीवरम सिल्क साड़ी की विशेषताएँ

कांचीवरम साड़ी की खासियत इसकी बुनाई तकनीक है। यह शुद्ध रेशम से बनी होती है और इस पर लेस का काम होता है, जो इसे बेहद आकर्षक और शाही बनाता है। इन साड़ियों की बुनाई में पारंपरिक मंदिर, हाथी, मोर और फूलों के डिज़ाइन होते हैं, जो भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं।

इसके अलावा, कांचीवरम साड़ी हाथ से बुनी जाती है और इसका पल्लू, बॉर्डर और बॉडी (मध्य भाग) अलग-अलग बुने जाते हैं, जिससे यह दूसरी साड़ियों से अलग दिखती है। एक अच्छी कांचीवरम साड़ी का वज़न 500 ग्राम से लेकर 1 किलो तक हो सकता है, जो इसकी मज़बूत और भारी रेशमी बनावट को दर्शाता है।

कांचीवरम सिल्क साड़ी – इतिहास, खासियत और असली पहचान

कांचीवरम साड़ी का महत्व

कांचीवरम सिल्क साड़ी न केवल दक्षिण भारत में, बल्कि पूरे भारत में विशेष अवसरों पर पहनी जाती है। यह दक्षिण भारतीय विवाह समारोहों का एक अभिन्न अंग है, जहाँ इसे विवाह पोशाक का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इसकी चमकदार रेशमी बनावट और लेस का काम इसे विशेष अवसरों के लिए सबसे उपयुक्त बनाता है। इसे भारतीय परंपरा में एक अनमोल उपहार के रूप में भी प्रस्तुत किया जाता है।

कांचीवरम सिल्क साड़ी – इतिहास, खासियत और असली पहचान

असली कांचीवरम साड़ी की पहचान कैसे करें?

कांचीवरम साड़ी की पहचान करना भी एक कला है। असली कांचीवरम साड़ी हमेशा शुद्ध रेशम से बनी होती है और इसका फीता 22 कैरेट सोने और चाँदी के धागों से बुना जाता है। असली साड़ी का परदा और पल्लू हमेशा शरीर से अलग बुना जाता है और एक खास तरीके से जुड़ा होता है। इसके अलावा, जब असली साड़ी को जलाया जाता है, तो उसकी राख से बालों जैसी गंध आती है, क्योंकि यह शुद्ध रेशम से बनी होती है।

कांचीवरम सिल्क साड़ी – इतिहास, खासियत और असली पहचान

इसकी कीमत लाखों रुपये तक क्यों पहुँचती है?

बुनाई की बारीकी और उसमें लगने वाले श्रम के कारण, एक लूप पर तीन लोग काम कर सकते हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आज एक कांचीवरम साड़ी की कीमत एक लाख रुपये या उससे भी ज़्यादा हो सकती है। कुछ साड़ियाँ रंगी हुई होती हैं, जबकि कुछ पर सोने और चाँदी का काम होता है। ज़ाहिर है, ये साड़ियाँ कला की कृतियाँ हैं और इन्हें बनाने वाले बुनकर किसी कलाकार से कम नहीं हैं।

आप यहां दी गई कांचीवरम साड़ियों की लिस्ट देख सकती हैं। उच्च गुणवत्ता वाले कपड़ों से बनी ये सभी साड़ियाँ हल्की हैं। इन्हें पहनकर आप फैशन क्वीन की तरह स्टाइलिश दिख सकती हैं।

कांचीवरम सॉफ्ट सिल्क साड़ी कॉपर (Kanjivaram Soft Silk Saree copper)

कांचीवरम सिल्क साड़ी – इतिहास, खासियत और असली पहचान

कांचीवरम मुलायम रेशमी कपड़े से बनी यह साड़ी मैरून में उपलब्ध है। यह कांचीवरम पूरी लंबाई के साथ मुलायम रेशम में पेश किया जाता है। इसे मकर संक्रांति उत्सव, पार्टी या पारंपरिक कार्यक्रमों पर पहना जा सकता है। स्टाइलिश दिखने वाली यह साड़ी हल्की और पहनने में आसान है।

कांचीवरम आर्ट सिल्क साड़ी (Kanchivaram Art Silk Saree)

कांचीवरम सिल्क साड़ी – इतिहास, खासियत और असली पहचान

यह फ्लोरल पैटर्न वाली साड़ी बेहद खूबसूरत है। इस साड़ी पर गोल्ड कलर की जोरी बूटी डिजाइन है। कांचीवरम आर्ट सिल्क फैब्रिक से बनी यह साड़ी बहुत हल्की है। इसके पल्लू और बॉर्डर पर हैवी लेस वर्क है।

कांचीवरम बनारसी सिल्क साड़ी पटोला साड़ी (Kanchivaram Banarasi Silk Saree Patola saree)

कांचीवरम सिल्क साड़ी – इतिहास, खासियत और असली पहचान

नई नवेली दुल्हन की पहनने के लिए यह एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। यह लाल रंग की साड़ी पटोला सिल्क फैब्रिक से बनी है। इस साड़ी में ज्यामितीय पैटर्न है।

शेयर कीजिए

Shabana Parveen

मैं शबाना परवीन हूँ, पेशे से लाइफस्‍टाइल पत्रकार हूं। पत्रकारिता का मुझे कई साल का अनुभव हो चुका है। मुझे करियर, एजुकेशन, बॉलीवुड, सोसाइटी और विमेंस इंस्पिरेशन के साथ ट्रेंडिंग न्यूज पर लिखने में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। इन विषयों गहन अध्ययन और इस विषयों के जनकरों से चर्चा कर आप तक सही जानकारी पहुंचा पाती हूं। मैं बतौर संपादक urjanchaltiger.in से जुड़ी हुई हूँ। मै अपनी टीम के साथ आपको हरपल अप-टू-डेट रहने और अपकी लाइफस्‍टाइल को स्‍टाइलिश बनाने के टिप्स बताती रहूँगी। बॉलीवुड, फैशन ब्‍यूटी, ट्रेंडिंग टॉपिक से जुड़ी ताज़ा अपडेट के लिए हमसे जुड़े रहिए। मेल आईडी - editor@urjanchaltiger.in
For Feedback - Feedback@urjanchaltiger.in

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment