Jagdeep Dhankhar Resignation :74 वर्षीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया।जानें इस्तीफे की पूरी प्रक्रिया, नए चुनाव की समयसीमा और अब तक की राजनीतिक हलचल।
नई दिल्ली, 22 जुलाई 2025 : भारतीय राजनीति में सोमवार शाम बड़ा भूचाल तब आया, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल इस्तीफा दे दिया। 74 वर्षीय धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम अपने त्यागपत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था।
धनखड़ का त्यागपत्र मंगवार को मानसून सत्र के पहले ही दिन राष्ट्रपति को सौंपा गया, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा का माहौल बन गया। राज्यसभा के डिप्टी चेयरपर्सन हरिवंश नारायण सिंह अब नए उपराष्ट्रपति चुने जाने तक कार्यवाहक अध्यक्ष की भूमिका संभालेंगे।
बड़ा सवाल : अचानक क्यों दिया इस्तीफा?
धनखड़ मार्च 2025 में हृदय संबंधी बीमारी के चलते दिल्ली के एम्स अस्पताल में चार दिन भर्ती रहे थे, लेकिन बाद में वे स्वस्थ लौटे थे। निजी सूत्रों का कहना है कि हाल के हफ्तों में उनकी सेहत लगातार गिर रही थी। संसद में विपक्षी नेताओं से उनकी बढ़ती मुलाकातों और चर्चाओं ने भी सियासी चिंगारियां भड़का दी थीं, लेकिन इस्तीफे की मूल वजह स्वास्थ्य ही बताई गई है।
कौन हैं जगदीप धनखड़ ?
राजस्थान के किसान परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ पुराने जमाने से राजनीति और कानून के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। वे 2022 में उपराष्ट्रपति बने थे, इससे पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। धनखड़ को उनकी दृढ़ता और कभी-कभी पक्षपात के आरोपों के लिए जाना जाता था। 2024 में विपक्ष द्वारा दाखिल महाभियोग प्रस्ताव भी उनके कार्यकाल का अभूतपूर्व मोड़ बना।
उपराष्ट्रपति चुनाव कब ?
संविधान के अनुच्छेद 68(2) के तहत, इस्तीफे के बाद 60 दिन के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव आवश्यक है। चुनाव आयोग शीघ्र प्रक्रिया शुरू कर सकता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के कुल 788 सदस्य अपनी वोटिंग करेंगे। नेता प्रतिपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ही अब भावी नामों पर गंभीर विचार कर रहे हैं।
इस वक्त सरकार के लिए यह नियुक्ति रणनीतिक रूप से अहम है, खासकर ऐसे समय जब संसद में कई महत्वपूर्ण मुद्दे लंबित हैं। भाजपा-एनडीए को अपने बहुमत के आधार पर मजबूत, सर्वमान्य उम्मीदवार चुनने होंगे।
धनखड़ के अचानक विदा होने के साथ भारत की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। अब देश की नजर अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव और उस पद की नई दिशा पर टिकी है।