भोपाल। मध्यप्रदेश में गरीबों को मिलने वाला मुफ्त राशन अब माफियाओं और अपात्र लोगों के कब्जे में है। सरकारी आंकड़ों ने प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की बड़ी सच्चाई उजागर कर दी है।
केंद्र सरकार के डेटा विश्लेषण से पता चला कि राज्य में 1.29 करोड़ परिवारों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। लेकिन इनमें से 64.88 लाख लोग अपात्र हैं। यानी लगभग हर दूसरा व्यक्ति बिना अधिकार के गरीबों का हिस्सा खा रहा है।
कौन हैं ये अपात्र लोग?
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार –
- 1 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन वाले लोग
- 6 लाख रुपये से अधिक सालाना आय वाले लोग
- और हैरान करने वाली बात, 17,901 कंपनी संचालक भी मुफ्त राशन योजना का लाभ उठा रहे हैं।
प्रदेश के 55 जिलों में 63.23 लाख लाभार्थी ऐसे हैं जो किसी न किसी मानक पर पात्र नहीं ठहरते। इसके साथ ही 35.41 लाख लोगों की ई-केवाईसी अब तक पूरी नहीं हुई है। यह लापरवाही गरीबों के हक पर सीधा हमला है।
गरीब क्यों वंचित ?
गांव और आदिवासी इलाकों में रहने वाले गरीब मजदूरों को योजना का वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा। एक खास समस्या यह भी है कि मजदूरी करने से उनके अंगूठे के निशान मिट जाते हैं। ऐसे हालात में उन्हें राशन वितरण केंद्र पर असली होते हुए भी “गैर-पात्र” माना जाता है।
सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल
एक ओर भाजपा सरकार केंद्र और राज्य में “हर गरीब को मुफ्त राशन” की घोषणा करती है। लेकिन हकीकत यह है कि असली राशन तो माफिया और अपात्र लोग हड़प रहे हैं।
अब बड़ा सवाल यह है कि –
- क्या सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित रहेगी?
- या फिर अपात्र लोगों की पहचान कर उन्हें सूची से हटाएगी?
- क्या गरीब और आदिवासी परिवारों तक उनका असली हक पहुंच पाएगा?
जनता की मांग
प्रदेश के लोग चाहते हैं कि सरकार तत्काल जांच कर सख्त कार्रवाई करे। अपात्र लाभार्थियों से योजना का लाभ छीना जाए और गरीबों तक उनका राशन समय पर और ईमानदारी से पहुंचे।