बॉलीवुड में जहाँ आजकल तड़क-भड़क और मसाला फिल्मों का बोलबाला है, वहीं निर्देशक विभु पुरी की फ़िल्म ‘गुस्ताख इश्क’ अपने भीतर एक भुला दी गई दुनिया को फिर से जिंदा करती है।फातिमा सना शेख, विजय वर्मा और नसीरुद्दीन शाह की प्रमुख भूमिकाओं वाली फिल्म “गुस्ताख़ इश्क़” 28 नवंबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है।
Gustaakh ishq की कहानी : शायरी, मोहब्बत और संघर्ष का रूहानी सफर
“गुस्ताख़ इश्क़” की कहानी प्रेम, जुदाई और अधूरी मोहब्बत के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी की पृष्ठभूमि पुरानी दिल्ली और पंजाब की हवेलियों में स्थापित है।
फातिमा सना शेख ने ‘मिनी’ का किरदार निभाया है, एक भावुक और खूबसूरत लड़की, जो अपनी पुरानी मोहब्बत की तलाश में खुद को समझने की कोशिश करती है।
विजय वर्मा अपने किरदार में गहरी संवेदनशीलता लेकर आते हैं, वहीं नसीरुद्दीन शाह कहानी को मजबूत आयाम देते हैं।

फिल्म ‘गुस्ताख इश्क’ की कहानी है सैफुद्दीन की, जो अपने पिता की पुरानी प्रिंटिंग प्रेस को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। घर की आर्थिक हालत कमजोर है, हालात मुश्किल हैं और इस बीच उसका भाई उसे एक अश्लील नावेल छापने के लिए मजबूर करता है। लेकिन सैफुद्दीन के लिए इमान और तहजीब सबसे ऊपर है, यह काम उसे मंज़ूर नहीं।
इसी संघर्ष में वह अपने दौर के मशहूर शायर अजीज को ढूँढ निकालता है और उनका शागिर्द बन जाता है। यहीं से उसकी जिंदगी एक रूहानी मोड़ लेती है, क्योंकि अजीज की बेटी मिनी से सैफुद्दीन को इश्क हो जाता है। अब सवाल वही पुराना लेकिन दिलचस्प, क्या सैफुद्दीन अपनी प्रेस बचा पाएगा? और क्या मिनी से उसकी मोहब्बत को मंज़िल मिलेगी?
Gustaakh ishq movie : अभिनय
- फातिमा सना शेख अपने करियर का एक बेहद नाज़ुक और असरदार किरदार निभाती हैं।
- विजय वर्मा ने इमोशनल हिस्सों में बेहतरीन काम किया है।
- नसीरुद्दीन शाह का सीमित लेकिन प्रभावी रोल दर्शकों को जोड़ता है।
CBFC विवाद भी बना चर्चा का विषय
फिल्म रिलीज़ से पहले सेंसर बोर्ड ने कुछ शब्दों पर आपत्ति जताई थी। “harami” और “sex” जैसे शब्द बदलने पड़े, जिसके बाद फिल्म को U/A सर्टिफिकेट मिला।इस विवाद ने फिल्म को अतिरिक्त चर्चा तो दी, लेकिन दर्शक संख्या बढ़ाने में खास मदद नहीं मिली।

Gustaakh ishq movie फिल्म क्यों देखें?
- इंटरवल के बाद फिल्म पकड़ मजबूत कर लेती है और शुरुआती शिकायतें दूर हो जाती हैं।
- कहानी में शायरी, ठहराव, नफासत और मोहब्बत की खोई हुई दुनिया फिर जीवंत हो उठती है।
- छोटे-छोटे किरदार दुनिया को खूबसूरती और अपनापन देते हैं।
- संवाद और लेखन बेहद काव्यात्मक, खूबसूरत और दिल में उतर जाने वाले हैं।
- विशाल भारद्वाज का संगीत और गुलज़ार साहब के बोल मिलकर जादू पैदा करते हैं।
- सिनेमैटोग्राफी दौर के अनुरूप और बेहद खूबसूरत।
- फातिमा सना शेख ने अपने कठिन किरदार को सहज और गहराई से निभाया है।
- विजय वर्मा हर फ्रेम में ईमानदार और प्रभावी प्रतीत होते हैं।
- निर्देशक विभु पुरी ने इस बीते दौर की तहजीब और नफासत को बड़े जुनून से पर्दे पर साकार किया है।
किसे नहीं आएगा पसंद ?
अगर आपको तेज रफ्तार, मनोरंजक, मसाला फिल्में पसंद हैं, तो यह शायद आपको कमजोर लगे।
⭐ Rating
3 / 5 स्टार
सुंदर, शायरी-भरी, लेकिन सीमित दर्शक वर्ग वाली प्रेम कहानी।










