Gota Patti blouse पारंपरिकता और आधुनिकता का सुंदर संगम हैं। ये हर महिला की अलमारी शान है। गोटा पट्टी से वैश्विक मंच पर भारतीय फैशन को पहचान मिल रहा है। शादी, त्योहार या कोई भी खास मौका हो, गोटा पट्टी ब्लाउज़ पहनकर हर महिला खुद को रॉयल जरूर महसूस करती है।
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गोटा पट्टी, जिसे ‘गोल्डन रिबन वर्क’ भी कहा जाता है।यह पारंपरिक भारतीय कढ़ाई की एक खूबसूरत शैली है। जिसमें पतली सुनहरी या चांदी की ज़री की पट्टियों को कपड़े पर हाथ से सिलकर आकर्षक डिज़ाइन बनाया जाता हैं।

गोटा पट्टी का इतिहास और परंपरा
गोटा पट्टी कढ़ाई की शुरुआत मुग़ल काल में हुआ ऐसा माना जाता है। उस वक्त राजस्थानी कारीगरों ने इसे शाही परिधानों की शोभा बढ़ाने के लिए शुरू किया था। पहले यह काम शुद्ध सोने-चांदी की पट्टियों से होता था। गोटा पट्टी कढ़ाई राजघरानों और मालदार लोगों की पहचान थी। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे यह कला आम लोगों तक पहुंच गई। अब यह लहंगा, साड़ी, सूट, दुपट्टा और खासकर ब्लाउज़ में खूब इस्तेमाल की जाती है।

Gota Patti blouse का आकर्षण
- डिज़ाइन : गोटा पट्टी ब्लाउज़ में अक्सर फूल-पत्तियों, मोर, पाईसली (अशरफी) और ज्यामितीय आकृतियों के डिज़ाइन बनाया जाता हैं। जिससे कपड़े को शाही और आकर्षक लुक दिया जाता हैं।
- कपड़ा : यह कढ़ाई जॉर्जेट, सिल्क, साटन, नेट, और क्रेप जैसे कपड़ों पर की जाती है, जिससे ब्लाउज़ आकर्षक और आरामदायक बनता है।
- रंग : पारंपरिक लाल, गुलाबी, हरे, नीले रंगों के साथ-साथ अब मल्टीकलर और गोल्ड फॉयल वाले गोटा पट्टी ब्लाउज़ आज कर खूब ट्रेंड में हैं।
- आधुनिकता : आजकल डिजाइनर्स गोटा पट्टी को मॉडर्न कट्स, बैक डिज़ाइन और स्लीव्स के साथ फ्यूज़न कर रहे हैं। जो युवाओं को आपनी और आकर्षित करता है।

Gota Patti blouse संस्कृति और पहचान
गोटा पट्टी ब्लाउज़ न केवल पहनावे को भव्यता देते हैं, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और कारीगरों की मेहनत का प्रतीक भी हैं। यह शिल्प आज भी जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे शहरों के कारीगरों द्वारा हाथ से तैयार किया जाता है।