सिंगरौली कोयला क्षेत्रों में मिले दुर्लभ धातु के भंडार, टेक्नोलॉजी के लिए बड़ी उम्मीद !

By: News Desk

On: Wednesday, July 30, 2025 7:06 AM

Discovery of rare earth metals in Singrauli coalfields
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मध्य प्रदेश के सिंगरौली कोलफील्ड में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements – REE) के भंडार मिले हैं। यह जानकारी संसद में सोमवार को दी गई। कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने कोयला खदानों के कचरे में REE की खोज और उससे जुड़े रिसर्च प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं।

REE क्या है और क्यों है खास?

रेयर अर्थ एलिमेंट्स यानी REE (Rare Earth Elements) एक खास ग्रुप की धातुएं हैं जैसे स्कैन्डियम, इट्रियम, जो क्लीन एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और अन्य कई इंडस्ट्री में अहम रोल निभाती हैं। यह हमारी कार, स्मार्टफोन, लैपटॉप, विंड टरबाइन और सैटेलाइट के लिए यह तत्व अनिवार्य हैं। भारत वर्तमान में 95% से अधिक REE चीन से आयात करता है, ऐसे में देश के अंदर ही स्रोत मिलने से आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम माना जा रहा है।

कितनी है इनकी मात्रा?

मंत्री ने बताया, “गोंडवाना सडिमेंट्स (कोयला, क्ले, शेल, सैंडस्टोन) की जांच में कोयला सैंपल्स में REE की औसतन 250ppm (पार्ट्स पर मिलियन) और नॉन-कोल सैंपल्स में 400ppm की मात्रा पाई गई है। इसका मतलब है कि इन धातुओं की मौजूदगी काफी ‘प्रॉमिसिंग’ है।”

Discovery of rare earth metals in Singrauli coalfields
G Kishan Reddy (Minister of Mines of India) / image 

निकासी कब से होगा शुरू ?

दुर्लभ धातुओं का व्यावहारिक दोहन अभी शोध, विदेशी निर्भरता और लागत, अनुकूल तकनीक के विकास पर टिका है। सरकार और PSU कंपनियां उच्चस्तरीय भारतीय संस्थानों, जैसे IMMT भुवनेश्वर, NFTDC हैदराबाद, IIT हैदराबाद के साथ मिलकर देशज तकनीक के विकास में जुटी हैं, ताकि आयात पर निर्भरता घटे और बड़ी मात्रा में इन महत्वपूर्ण तत्वों की आपूर्ति देश में ही सुनिश्चित हो सके।

पूर्वोत्तर राज्यों का भी मूल्यांकन

मंत्री ने बताया उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की कोलफील्ड में कुल REE तो कम हैं, लेकिन हेवी REE (जैसे डाइसप्रोसियम, इट्रीयम) की मात्रा ज्यादा है। इन्हें निकालने के लिए भी स्वदेशी तकनीकें विकसित की जा रही हैं। इसका मकसद है फिजिकल सेपरेशन और आयन-एक्सचेंज रेजिन तकनीक से नॉन-कोल पदार्थों और एसिड माइंड्रैनेज से महत्वपूर्ण धातुओं को निकालना।

बड़े संस्थानों के साथ साझेदारी

सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL) ने IMMT भुवनेश्वर, NFTDC हैदराबाद और IIT हैदराबाद जैसे संस्थानों के साथ रिसर्च के लिए समझौते किए हैं। साइंटिस्ट्स इन तकनीकों के ईको-फ्रेंडली तरीके विकसित कर रहे हैं, ताकि भारत अपनी जरूरतों के लिए चीन जैसे देशों पर निर्भर न रहे।

सिंगरौली में मिले REE भण्डार, तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्र को मजबूती देगा!

इस खोज के साथ, भारत न सिर्फ अपने तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्र को मजबूती देगा, बल्कि दुनिया के REE मार्केट में भी मजबूती से उतरने को तैयार है। निकट भविष्य में ये भंडार भारत के लिए बड़े गेमचेंजर हो सकते हैं।

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