बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सियासी शंखनाद हो चुका है। राज्य की 243 सीटों पर सभी दलों ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। एनडीए की सूची में इस बार सबसे खास बात यह है कि 243 उम्मीदवारों में केवल पांच मुस्लिम चेहरे शामिल किए गए हैं। इनमें से चार उम्मीदवार जेडीयू के हैं और एक उम्मीदवार लोजपा (रामविलास) से है, और भाजपा ने कोई मुस्लिम उमीदवार नहीं उतारा है। जानिए कौन हैं वो पांच उमीदवार …
सबा जफर : अमौर विधानसभा (पूर्णिया),
उम्मीदवार : JDU
सबा जफर पूर्णिया जिले के अमौर से जेडीयू की उम्मीदवार हैं। वे 2010 में पहली बार विधायक बनी थीं। साफ छवि और जनसंपर्क उनकी पहचान रही। 2015 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं। 2020 में फिर से जेडीयू में लौटीं और अब 2025 में फिर से मैदान में हैं। नीतीश कुमार ने उन पर भरोसा जताया है।
जमा खान : चैनपुर विधानसभा (कैमूर),
उम्मीदवार: JDU
जमा खान इस समय बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं। 2005 में BSP से राजनीति शुरू की, फिर कांग्रेस और वापस BSP से भी चुनाव लड़ा। 2020 में उन्होंने BSP के टिकट पर जीत दर्ज कर BJP के उम्मीदवार को हराया। बाद में जेडीयू में शामिल होकर मंत्री बने। अब 2025 में वे फिर चैनपुर से जेडीयू के उम्मीदवार हैं। उनका इलाका में मजबूत जनसंपर्क माना जाता है।
मोहम्मद कलीमुद्दीन : बहादुरगंज विधानसभा (किशनगंज)
उम्मीदवार: LJP (रामविलास)
कलीमुद्दीन किशनगंज के बहादुरगंज से लोजपा (रामविलास) के उम्मीदवार हैं। वे पहले नगर परिषद उपाध्यक्ष रह चुके हैं और पार्टी के प्रदेश महासचिव भी रहे हैं। उनकी पत्नी निखत परवीन नगर परिषद उपाध्यक्ष हैं। 2020 में ठाकुरगंज से उन्होंने लोजपा टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस बार बहादुरगंज में RJD और AIMIM के साथ त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है।
मंजर आलम : जोकिहाट विधानसभा (अररिया)
उम्मीदवार : JDU
जोकिहाट से मंजर आलम एक बार फिर जेडीयू के उम्मीदवार हैं। वे 2005 में दो बार विधायक बने और मंत्री भी रहे। नीतीश कुमार ने उन्हें एमएलसी भी बनाया था। लंबे अंतराल के बाद वे फिर चुनाव मैदान में हैं। जोकिहाट में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
शगुफ्ता अजीम : अररिया विधानसभा,
उम्मीदवार: JDU
अररिया सीट से शगुफ्ता अजीम को जेडीयू ने मौका दिया है। पहले वे कांग्रेस के टिकट पर सिकटी से चुनाव लड़ चुकी हैं। उनके ससुर अजीमुद्दीन पांच बार विधायक रह चुके हैं। 2020 में शगुफ्ता को अररिया से 55,000 से ज्यादा वोट मिले थे। इस बार वे मजबूत रणनीति के साथ उतरी हैं।
जेडीयू और लोजपा ने मुस्लिम उम्मीदवारों उन इलाकों में उतारा है, जो खास है। पूर्णिया, कैमूर, किशनगंज और अररिया जैसे सीमांचल और दक्षिण बिहार के इन इलाकों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। जेडीयू ने इसे “समावेशी राजनीति” का संदेश माना है, जबकि लोजपा ने भी विविधता दिखाने की कोशिश किया गया है।










