बेंगलुरु पुलिस ने बुधवार को वकील राकेश किशोर के खिलाफ zero FIR दर्ज की। आरोप है कि उसने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी आर गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की।अधिकारियों का कहना है कि घटना सोमवार को कोर्टरूम में हुई थी, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत रोक दिया।
शिकायत में कहा गया है कि राकेश किशोर का कृत्य न केवल निंदनीय है, बल्कि समाज द्वारा स्वीकार भी नहीं किया जा सकता। यह गंभीर अपराध है और दोषी को कानून के तहत सख्त सजा मिलनी चाहिए।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 71 वर्षीय किशोर पिछले महीने एक सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी से नाराज थे। यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के खजुराहो में विष्णु प्रतिमा की बहाली से जुड़ी थी।
मंगलवार को वकीलों ने कर्नाटक हाई कोर्ट और विधानसभा के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश पर हमला करने वाले वकील की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा हो सकता है। इस मामले में पूरी जांच की मांग की गई है।
जानिए क्या होता है zero FIR ?
- पांच पॉइंट में समझे zero FIR
- zero FIR किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध कहीं भी हुआ हो।
- इसमें अपराध का विवरण दर्ज किया जाता है।
- एफआईआर पर प्रारंभिक संख्या “0” लिखी जाती है।
- बाद में इसे उस पुलिस स्टेशन को भेजा जाता है, जिसके क्षेत्र में अपराध हुआ हो।
- इसका उद्देश्य पीड़ित को तुरंत शिकायत दर्ज करने की सुविधा देना है, ताकि समय बर्बाद न हो।
zero FIR कहीं भी दर्ज हो सकती है, चाहे घटना कहीं भी हुई हो। यह मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 132 और 133 के तहत दर्ज किया गया है। शिकायत ऑल इंडिया एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भक्तवचला ने पुलिस को दी।










