उत्तर प्रदेश,सोनभद्र जिले के शक्तिनगर क्षेत्र में कोयला खदानों से निकले ओवरबर्डेन (ओबी) अब पहाड़ बन गए हैं। यह पहाड़ स्थानीय लोगों के जीवन के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। ऊर्जा चल की कोयला खदानें और बिजलीघर जहां देश की प्रगति में योगदान दे रहे हैं, वहीं इन खदानों से निकले ओबी के पहाड़ों की बढ़ती ऊंचाई और उनके कारण उत्पन्न खतरे ने आसपास के निवासियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।
NCL प्रबंधन के उदासीनता के कारण हुआ समस्या विकराल ?
वर्ष 2011 और 2012 में जिला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों और NCL (नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) प्रबंधन के साथ कई बैठकें कीं। तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट सुहास एलवाई ने NCL प्रबंधन को ओबी पहाड़ों से उत्पन्न खतरे को कम करने के निर्देश भी दिए थे। लेकिन 13 वर्षों के बावजूद इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे समस्या और विकराल होती जा रही है।
ओबी पहाड़ों से आमजनता को क्या है खतरा ?
आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी और NCL प्रबंधन की उदासीनता के कारण ओबी पहाड़ों की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है।
- भारी ब्लास्टिंग से स्थानीय लोगों की जान को खतरा उत्पन्न हो रहा है।
- बारिश के मौसम में मिट्टी और मलबा घरों में घुसने की समस्या विकराल रूप ले रही है।
- पहाड़ों के धंसने का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है, जिससे सैकड़ों परिवारों का जीवन असुरक्षित हो गया है।
विस्थापित परिवारों का दर्द ?
शक्तिनगर के चिल्काडाड़ क्षेत्र की निमियाडाड और दियापहरी बस्तियां NTPC शक्तिनगर की विस्थापित बस्तियां हैं। यह विस्थापित बस्तियां NCL खड़िया खदान के बेहद करीब हैं। यहां के लगभग 500 परिवार इस खतरे के बीच रह रहे हैं। वर्षा के दौरान खदान की ओर से आने वाले नाले टूटने के कारण भारी मात्रा में मिट्टी और पानी बस्तियों में भर जाता है, जिससे लोगों को अस्थायी रूप से विस्थापित होना पड़ता है। इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ रही हैं, जैसे त्वचा रोग, उच्च रक्तचाप, मासिक धर्म में अनियमितता और अन्य।
आउटसोर्सिंग कंपनियों पर बेरोजगारों के शोषण का आरोप ?
एनसीएल की आउटसोर्सिंग कंपनियां ओबी हटाने के मामले में मात्र खानापूर्ति करती नजर आती है। मैनपावर भर्ती में विवाद और स्थानीय बेरोजगारों के शोषण के आरोप भी लगते रहे हैं। इससे ओबी हटाने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है, जिससे कोयला उत्पादन पर भी बारिश के मौसम में नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
NCL प्रबंधन की उदासीनता के कारण डर के साए में जीने को मजबूर ?
सोनभद्र के शक्तिनगर में ओबी (ओवरबर्डेन) पहाड़ों का खतरा फिलहाल टलता नजर नहीं आ रहा है। वर्ष 2011 और 2012 में जिला प्रशासन और एनसीएल प्रबंधन के बीच बैठकें और निर्देश जरूर हुए, लेकिन 13 साल बाद भी कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। इस दौरान न तो ओबी पहाड़ों की ऊंचाई कम हुई है, न ही प्रभावित परिवारों के लिए सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं।
आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी और NCL प्रबंधन की उदासीनता के चलते ओबी पहाड़ों की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है, जिससे खतरा हर साल और गंभीर होता जा रहा है। स्थानीय निवासियों और विस्थापित कल्याण समिति ने बार-बार प्रशासन और राज्य सरकार से गुहार लगाई है, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं।
वर्तमान हालात और बीते वर्षों के अनुभव को देखते हुए, जब तक प्रशासन, NCL और संबंधित कंपनियां मिलकर ठोस और समयबद्ध कार्रवाई नहीं करतीं, तब तक ओबी पहाड़ों का खतरा टलने की कोई निश्चित समयसीमा नहीं बताई जा सकती। फिलहाल यह समस्या जस की तस बनी हुई है और स्थानीय लोग इसी डर के साए में जीने को मजबूर हैं।