Ladli Behna Yojana : मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की करोड़ों लाभार्थी बहनों के लिए अच्छी खबर। अब योजना की अगली किस्त तय समय से पहले मिलेगी। इसकी घोषणा खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने की। उन्होंने कहा कि होली और महाशिवरात्रि को देखते हुए बहनों के खातों में मार्च की किश्त 10 की बजाय 1 मार्च को जमा की जाएगी, ताकि त्योहारों के दौरान बहनों को कोई परेशानी न हो। इसके तहत 1.29 करोड़ बहनों के खाते में 1250 रुपये दिये जायेंगे।
दरअसल, आज मुख्यमंत्री मोहन यादव बालाघाट के दौरे पर थे, जहां उन्होंने 761 करोड़ रुपये के विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण किया। उन्होंने प्रदेश की प्यारी बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसी कोई भी योजना बंद नहीं की जाएगी, जिससे माताओं-बहनों के जीवन में रोशनी आए। विशेषकर बहनों को हर महीने लाड़ली बहना योजना की किस्तें आपको समय पर भेजी जा रही हैं और अब अगले महीने की किस्त पहले जारी की जाएगी, क्योंकि अगले महीने होली और महाशिवरात्रि है, इसलिए इस बार 10 तारीख के बजाय 1 मार्च को बहनों के खाते में पैसा भेज दिया जाएगा।
लाड़ली बहनों के लिए खुशखबरी
अबकी बार 10 तारीख को नहीं…
1 मार्च को खाते में आएगी राशि▶️धूमधाम से मनेगी महाशिवरात्रि और होली@DrMohanYadav51 pic.twitter.com/I4Aoong6RE
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) February 21, 2024
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि महिलाओं और लड़कियों के लिए लाड़ली बहना और कन्यादान योजनाएं शुरू की गईं। विपक्ष कहता था कि पैसा नहीं है, कहां से लायेंगे, लेकिन भाजपा सरकार ने कहा कि हमने व्यवस्था कर दी है। कोई भी योजना बंद नहीं होगी। हम हर 10वीं तारीख पर अपनी बहनों के खाते में पैसे जमा कर रहे हैं और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेंगे।’ हमारा प्रधानमंत्री प्रधान सेवक है और हम मुख्य सेवक हैं।
दरअसल, लाड़ली बहना योजना पिछली शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मई 2023 में शुरू की थी। इसमें 21 से 60 वर्ष की विवाहित महिलाओं को 1000 रुपये देने का निर्णय लिया गया और फिर पहली किस्त 10 जून को जारी की गई, जिसके बाद रक्षाबंधन 2023 में यह राशि बढ़ाकर 1250 रुपये कर दी गई। अब इस योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह 1250 रुपये और सालाना 15,000 रुपये मिलते हैं। घोषणा के मुताबिक यह रकम हर महीने की 10 तारीख को भेजी जाती है, लेकिन इस बार त्योहारों को देखते हुए 10वीं किस्त 1 मार्च को भेजी जाएगी. इससे पहले, दिवाली के दौरान किश्तें तय समय से पहले भेजी जाती थीं।