Ajmer Sharif Dargah इस वक्त चर्चा का विषय बनी हुई है क्योंकि यहां शिवमंदिर होने का दावा किया गया। हिंदू सेना के प्रमुख Vishnu Gupta (विष्णु गुप्ता) ने की स्थानिय कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद न्यायधीश मोहन चंदेल ने Ajmer Sharif Dargah परिसर के सर्वे का नोटिस जारी कर दिया। इस खबर के बाद सूफी संत Khwaja Moinuddin Chishti की यह दरगाह सुर्खियों में आ गई।
ऐसे में लोग जानने को उत्सुक हैं कि आखिर Ajmer Sharif Dargah का इतिहास क्या है? Khwaja Moinuddin Chishti कौन थे? तो आइए इस पोस्ट में जानते हैं इन सभी सवालों का जवाब।
Khwaja Moinuddin Chishti कौन थे?
सूफी संत Khwaja Moinuddin Chishti को पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) का वंशज कहा जाता है। Khwaja Moinuddin Chishti एक फारसी इस्लामिक स्कॉलर थे। उनका जनम एक फरवरी 1143 में अफगानिस्तान के चिश्ती शरीफ (Chishti Sharif) में हुआ।
Khwaja Moinuddin Chishti सुल्तान Iltutmish (इल्तुतमिश) के शासन में भारतीय उपमहाद्वीप में आये थे। वो अपने मानवता के उपदेशों की वजह से काफी मशहूर हुए। यही वजह है कि हर धर्म के लोग उन्हें पसंद करते हैं। उनके मानने वाले उन्हें ख्वाजा गरीब नवाज (Khwaja Garib Nawaz) के नाम से भी पुकारते हैं।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) ने अजमेर (Ajmer) को अपना घर बना लिया और ताउम्र यही रहे। 17 मार्च 1236 को 93 साल की उम्र में उनका इंतकाल हुआ।
Khwaja Garib Nawaz के इंतकाल के बाद उनकी दरगाह किस ने बनवाई?
इस सवाल का जबाब राजस्थान टूरिज्म में मिलता है राजस्थान टूरिज्म के मुताबिक सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) के सम्मान में मुगल राजा हुमायूँ ने इस दरगाह का निर्माण करवाया था। उनके मकबरे को चांदी की रेलिंग और संग मरमर से सुरक्षित रखा गया है। कहा जाता है कि अपने शासन काल के दौरान मुगल सम्राट अकबर भी हर साल Khwaja Moinuddin Chishti की दरगाह हाजरी देने पहुंचा करते थे। बादशाह शाहजहाँ ने दरगा परिसर के अंदर मस्जिद भी बनवाई।
आईए अब जानते हैं Ajmer Sharif Dargah के बारे में कुछ खास बातें ?
Ajmer Sharif Dargah का लंगर काफी मशूर है। जिसमें चावल, घी, काजू, बादाम और किश्मिश मिलाकर लंगर तैयार किया जाता है। इस लंगर को पकाने के लिए साल 1568 और 1614 में मुगल राजा अकबर और जहाँगीर ने बड़ी देग दान की थी। इन दोनों देगों का इस्तमाल आज भी किया जाता है।
Khwaja Garib Nawaz की Death Anniversary को हर साल उर्स के तौर पर मनाया जाता है। ये इसलामिक महीने जुमा अल-थानी से लेकर शाबान महीने के छठे दिन तक चलता है। हर साल लाखों की तादाद में ज़ाइरीन इस उर्स में शामिल होने अजमेर आते हैं। इस मौके पर देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियां इस Ajmer Sharif Dargah पर चढ़ाने के लिए चादर भेजते हैं।