Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का आज ऐलान होगा। इससे पहले देश में चुनावी बांड जारी करने का बोलबाला रहा है। इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड सिस्टम पर रोक लगा दी थी। अब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने डेटा प्रकाशित किया है जो एक बड़ा रहस्योद्घाटन है। एडीआर डेटा से पता चलता है कि 2017-18 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत के बाद से पार्टियों को प्राप्त कुल धन का 50 प्रतिशत भाजपा को मिला है।
बीजेपी को 50 फीसदी रकम मिली
एडीआर ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को 2017-18 में 1,450.9 करोड़ रुपये और 2018-19 में 210 करोड़ रुपये मिले, जबकि अगर इसे 12 अप्रैल, 2019 से 24 जनवरी, 2024 के बीच की अवधि में प्राप्त 6,060.5 करोड़ रुपये में जोड़ा जाए, तो यह रकम 7,721.4 करोड़ रुपये हो जाएगी। यह चुनावी बांड से मिले कुल 15,529 करोड़ रुपये का करीब 50 फीसदी है।
Party-wise Encashment details of Electoral Bonds between 12 April 2019 to 15 February 2024#ADRReport: https://t.co/lrKMGk9Dv3#ElectoralBondsCase #ElectoralBondCase #SupremeCourt #ElectoralBonds #ElectoralBonds pic.twitter.com/Oh8XgsGbhj
— ADR India & MyNeta (@adrspeaks) March 15, 2024
इलेक्टोरल बॉन्ड से कांग्रेस को कितना पैसा मिला?
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस को दो साल में 383.3 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये मिले। वहीं, अब तक कुल 1.81 अरब रुपये मिले हैं। वहीं, पिछले 2 साल में टीएमसी को 97.3 करोड़ रुपये मिले। टीएमसी को अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के तौर पर कुल 1,706.8 करोड़ रुपये मिले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, बीजू जनता दल को 2018-19 में 213.5 करोड़ रुपये मिले। पार्टी को अब तक कुल 989 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। इसमें 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 तक का डेटा शामिल नहीं किया गया है।
#WATCH | Congress MP Rahul Gandhi says, "The institution of the country whether it is ED, Election Commission of India or CBI, now they are not the institution of the country but the weapons of BJP and RSS. If these institutions had done their work, this would have not happened.… pic.twitter.com/DGDMDptFO8
— ANI (@ANI) March 15, 2024
चुनावी बांड पर राहुल गांधी ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को चुनावी बॉन्ड को लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि चुनावी बांड दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट है। बीजेपी की वसूली सीबीआई और ईडी पर दबाव डालकर होती है।
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना 2017 में शुरू हुई
हमने आपको बताया कि चुनावी बॉन्ड योजना 2017 में शुरू हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल इस पर रोक लगा दी। अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक को निर्देश दिया कि वह जल्द ही चुनावी बांड के जरिये प्राप्त धन का विवरण उपलब्ध कराये। शुक्रवार को हाई कोर्ट ने चुनावी बांड की संख्या नहीं बताने पर एसबीआई को फटकार लगाई और नोटिस भी जारी किया।
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