मध्य प्रदेश सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर नकेल कस दी है। अब फीस बढ़ाने से पहले स्कूलों को नियमों का पालन करना होगा। शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है कि सभी प्राइवेट स्कूल अपनी फीस संरचना पोर्टल पर अपलोड करें। यह नियम अनिवार्य किया गया है। अब स्कूल शिक्षा विभाग ने फीस वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए नए नियम लागू किए हैं। विभाग ने आदेश दिया है कि सभी प्राइवेट स्कूल अपने आगामी सत्र की कक्षा वार और मद वार फीस संरचना को फीस विनियमन पोर्टल पर अपलोड करें। यह नियम अनिवार्य किया गया है। माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) ने साफ कर दिया है कि संबद्धता प्रक्रिया नियमों के अनुसार ही चलेगी। इसके बाद ही स्कूलों को मान्यता मिलेगी।
मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों की अनियमित फीस वृद्धि पर रोक लगाई। अब सभी स्कूलों को फीस संरचना और अन्य जानकारी पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
फीस वृद्धि पर रोक
विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस कदम से फीस वृद्धि पर रोक लगेगी। प्रदेश के 10 हजार से ज्यादा स्कूल अब तक पोर्टल पर अपनी जानकारी अपलोड कर चुके हैं।
किताबें और यूनिफॉर्म पर भी नियंत्रण
सरकार ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि किताबें, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी और अन्य सामान एक ही दुकान से खरीदने का दबाव न बनाया जाए। स्कूलों को यह जानकारी अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करनी होगी।
गड़बड़ियों पर होगी कार्रवाई
पिछले सत्र में कई स्कूलों ने बिना संबद्धता के छात्रों का प्रवेश लिया था। बाद में छात्रों को परीक्षा देने में परेशानी का सामना करना पड़ा। इस बार विभाग ने चेतावनी दी है कि बिना संबद्धता के प्रवेश लेने पर कड़ी कार्रवाई होगी।
वेबसाइट होगी समाधान
इस वर्ष मंडल ने नई वेबसाइट शुरू करने की तैयारी की है। इसमें स्कूलों और छात्रों की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी। इससे गड़बड़ियों पर रोक लगेगी।
भवन मानक भी तय
नियमों के अनुसार 10वीं तक के स्कूल में कम से कम 4000 वर्ग फुट और 12वीं तक के स्कूल में 5600 वर्ग फुट क्षेत्र होना जरूरी है। कई स्कूल अभी भी इन मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं।
अधिकारियों की सख्त निगरानी
इस बार संयुक्त निदेशक (जेडी) और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) खुद स्कूलों का निरीक्षण करेंगे। नियम तोड़ने पर कड़ी कार्रवाई होगी।
अधिकारियों का बयान
माशिमं के सचिव केडी त्रिपाठी ने कहा, “विगत वर्ष कुछ स्कूलों में बड़ी गड़बड़ी हुई थी। इस बार वेबसाइट पर पूरी तरह से निगरानी रखी जाएगी। किसी भी स्कूल को नियम तोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”










