नई दिल्ली : पुलिस ने खुद को धर्मगुरु बताने वाले चैतन्यनंद सरस्वती (Chaitanyananda Saraswati case) की दो महिला सहयोगियों को मंगलवार को हिरासत में लिया। दोनों से यौन उत्पीड़न मामले में पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि ये महिलाएं छात्राओं को धमकाती थीं और उनसे आपत्तिजनक संदेश हटवाती थीं।
चैतन्यनंद सरस्वती (Chaitanyananda Saraswati case), जिनका असली नाम पार्थसारथी है, को रविवार को आगरा से गिरफ्तार किया गया था। वह 50 दिनों से पुलिस से बचते घूम रहे थे और 15 अलग-अलग सस्ते होटलों में ठहरे थे।

यह मामला कैसे शुरू हुआ
यह केस अगस्त महीने में दर्ज हुआ था। दिल्ली के वसंतकुंज स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट की 17 छात्राओं ने शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप है कि सरस्वती रात में अश्लील संदेश भेजते थे और इनकार करने पर परीक्षा में फेल करने की धमकी देते थे।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि छात्रावास में गुप्त कैमरे लगाए गए थे। सरस्वती के पास से एक वोल्वो कार भी मिली, जिस पर नकली राजनयिक (डिप्लोमैटिक) नंबर प्लेट लगी थी।
पूर्व शिकायतें और अदालत का रुख
सरस्वती पर पहले भी शिकायतें हो चुकी हैं। 2009 और 2016 में उत्पीड़न के मामले सामने आए थे, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
दिल्ली की अदालत ने 26 सितंबर को सरस्वती की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। अदालत ने माना कि आरोप गंभीर हैं। अब वह पुलिस हिरासत में रहेंगे और उनकी रिमांड 5 अक्टूबर तक तय की गई है।
संस्थान और पीठ की प्रतिक्रिया
संस्थान की कई महिला कर्मचारियों पर भी जांच हो रही है। तीन को सह-अभियुक्त के तौर पर नामजद किया गया है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि हिरासत में ली गई महिलाएं वही हैं या नहीं।
श्री शारदा पीठम, श्रींगेरी (कर्नाटक) ने सरस्वती से सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं। पीठ ने बयान जारी कर कहा, “हमने तुरंत कार्रवाई की है और पूरी तरह पुलिस की जांच में सहयोग कर रहे हैं। चैतन्यनंद सरस्वती के कार्य अवैध और हानिकारक थे।”
अब क्या होगा ?
पुलिस ने बताया कि उनके फोन और अन्य उपकरणों की फॉरेंसिक जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद चार्जशीट दायर की जाएगी। साथ ही, कई और छात्राओं की शिकायतें भी देखी जा रही हैं।










