मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व 1 अक्टूबर से खुलेंगे। जानें जंगल सफारी, टिकट बुकिंग, पहुंचने के आसान रास्ते और लोकल टूरिज्म व रोजगार से फायदा।
मध्यप्रदेश में टाइगर रिजर्व के दोबारा खुलने का सबसे बड़ा फायदा स्थानीय पर्यटन और रोजगार को मिलेगा। सफारी के चलते आसपास के होटल, रेस्टोरेंट, लोकल गाइड और टैक्सी ऑपरेटर को ज्यादा काम मिलेगा।
राज्य सरकार ने ‘बाघ मित्र’ कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें गांव के लोगों को सफारी में गाइड और वन्य जीवों की सुरक्षा का जिम्मा दिया जाएगा।
क्षेत्र के युवाओं को एडवेंचर टूरिज्म, गाइडिंग और खुद का व्यवसाय शुरू करने के मौके मिलेंगे।
क्षेत्रीय वन्य जीवन और संस्कृति की पहचान बनेगी
जंगल सफारी सिर्फ पर्यटन नहीं, लोकल संस्कृति से जुड़ने और प्रकृति की जानकारी लेने का मौका है।स्कूल-कॉलेज के बच्चे जंगल कैम्प और एजुकेशन टूर के ज़रिये प्रकृति और वन्य जीवन जानेंगे।
विदेशी पर्यटक भी मध्यप्रदेश के जंगलों में घूमने आते हैं, जिससे स्थानीय कला, संस्कृति और हस्तशिल्प की पहचान बढ़ती है।
सफारी और पर्यटन स्थल की पूरी जानकारी
कान्हा टाइगर रिजर्व (मंडला-बालाघाट): मोगली की धरती, बारासिंगा और बाघ देखने का मौका।बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (उमरिया): सबसे ज्यादा बाघ घनत्व, किला और गुफाएं पर्यटन का आकर्षण।पेंच टाइगर रिजर्व (सीमोर-छिंदवाड़ा): जंगल बुक की प्रेरणा, अनेक जीव-जंतु देख सकते हैं।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (होशंगाबाद-बैतुल): कैनोईंग और ट्रैकिंग के लिए मशहूर।
सफारी की तारीखें और बुकिंग की सुविधा
- 1 अक्टूबर से: कान्हा, पन्ना
- 15 अक्टूबर से: बांधवगढ़, सतपुड़ा
- 16 अक्टूबर से: पेंच (बुकिंग 1 अक्टूबर से)
बुकिंग वेबसाइट: forest.mponline.gov.in या संबंधित रिजर्व की साइट पर करें।
सफारी के लिये कैसे पहुँचें?
- रेलवे : जबलपुर, उमरिया, मंडला, नागपुर, भोपाल से आसान कनेक्शन।
- एयरपोर्ट : जबलपुर, भोपाल, नागपुर सबसे पास।
- सड़क मार्ग : लोकल टैक्सी, बस और स्थानीय ऑपरेटर उपलब्ध।
स्थानीय टूरिज्म को होगा लाभ
अपने जिले या गाँव के नजदीक टाइगर रिजर्व घूमने की आदत डालें। इससे आपकी यात्रा आसान, सस्ती और सुरक्षित होगी। लोकल मार्केट, होटल और हस्तशिल्प से खरीदारी भी कर सकते हैं। इससे आपके क्षेत्र में रोजगार और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नोट: सफारी के लिए टिकट एडवांस में बुक कर लें, ताकि समय मिल सके और भीड़ न हो।










