सिंगरौली, 22 अगस्त 2025।प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत सिंगरौली जिले में टीबी उन्मूलन की दिशा में तेज प्रयास चल रहे हैं। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत विभाग और शिक्षा विभाग मिलकर इस लक्ष्य को पूरा करने में लगे हैं। खास ध्यान उन गांवों और इलाकों पर दिया जा रहा है, जो दूरस्थ और दुर्गम हैं।
गांव-गांव जांच शिविर
स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार ग्राम पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित कर रही हैं। इन शिविरों में पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों से तुरंत जांच और स्क्रीनिंग की जा रही है। पहले लोगों को एक्स-रे कराने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों या जिला अस्पताल तक लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। अब यह सुविधा घर के पास ही मिलने से ग्रामीणों को बड़ी राहत मिल रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि त्वरित जांच और वहीं पर शुरुआत होने वाले उपचार से उन्हें काफी लाभ है। समय और पैसे की बचत भी हो रही है।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका
इस अभियान में सीएचओ कार्यकर्ताओं (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर), एसटीएस (सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर) और एसटीएलएस (सीनियर ट्रीटमेंट लैब सुपरवाइजर) की भूमिका मुख्य है।
ये कार्यकर्ता घर-घर जाकर संभावित मरीजों की पहचान कर रहे हैं। सैंपल लेकर उन्हें जांच केंद्र तक भेजा जा रहा है। जांच केंद्रों तक सैंपल पहुंचाने के लिए विशेष ट्रांसपोर्ट एजेंसी की मदद ली जा रही है।
स्कूलों में जागरूकता अभियान
जिले की सभी स्कूलों में छात्रों के बीच टीबी के लक्षण और उसके उपचार को लेकर जानकारी दी जा रही है। टीचरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की मदद से बच्चों को समझाया जा रहा है कि टीबी का इलाज पूरी तरह मुफ्त है। यदि समय पर पहचान हो जाए तो यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है।
कोल माइंस क्षेत्र में स्क्रीनिंग
सिंगरौली जिला कोल माइंस के लिए भी जाना जाता है। यहां बड़ी संख्या में श्रमिक काम करते हैं। अभियान के दौरान इन श्रमिकों की भी विशेष स्क्रीनिंग की जा रही है। उद्देश्य यह है कि खदानों में काम करने वाले कर्मियों का स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहे।
जिला क्षय केंद्र की निगरानी
जिला क्षय केंद्र से विशेष टीमों की तैनाती की गई है। ये टीमें गांव-गांव जाकर जांच कर रही हैं। शिविरों में बड़ी संख्या में लोग हिस्सा ले रहे हैं और जांच करा रहे हैं।
ग्रामीणों को मिली राहत
ग्रामीण बताते हैं कि पहले उन्हें टीबी की जांच और इलाज के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था और कई बार शहर तक जाना पड़ता था। अब जब सुविधा नजदीक मिल रही है तो समय पर इलाज हो पा रहा है।
लक्ष्य पूरा करने की आशा
स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इन प्रयासों से जिले को जल्द ही टीबी मुक्त बनाया जा सकेगा। निरंतर स्क्रीनिंग, जांच, समय पर दवा वितरण और जागरूकता इस लक्ष्य की कुंजी मानी जा रही है।










