झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक, राज्यसभा सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन का आज 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले एक महीने से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे और उनकी हालत पिछले कुछ दिनों से काफी नाजुक बनी हुई थी।
उनके पुत्र एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पिता के निधन की खबर साझा की। उन्होंने लिखा, “प्रिय दिशोम गुरुजी आज हमें छोड़ गए। मैंने आज सब कुछ खो दिया।”
सर गंगाराम अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया, “श्री शिबू सोरेन को 19 जून 2025 को भर्ती कराया गया था और वे वरिष्ठ नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. ए.के. भल्ला की देखरेख में थे। हमारे मेडिकल टीम के हर प्रयास के बावजूद 4 अगस्त 2025 को उनका परिवार उनके पास मौजूद था, जब उन्होंने अंतिम सांस ली। हम उनके परिवार, चाहने वालों और झारखंड की जनता को गहरी संवेदना प्रकट करते हैं।”
लंबा राजनीतिक सफर और झारखंड आंदोलन का चेहरा
शिबू सोरेन का राजनीतिक करियर चार दशकों से भी अधिक लंबा रहा। वे आठ बार लोकसभा के सांसद बने और दो बार राज्यसभा पहुंचे। संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शिबू सोरेन का जन्म बिहार के रामगढ़ (अब झारखंड) में हुआ था। उन्होंने साल 1972 में मजदूर नेता एके रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव रखी थी। यहीं से झारखंड अलग राज्य आंदोलन ने जोर पकड़ा और आखिरकार साल 2000 में राज्य का गठन हुआ।
1980 में शिबू सोरेन पहली बार दुमका से लोकसभा पहुंचे और यह सीट बाद में JMM का गढ़ बन गई। हालांकि, 2019 में उन्हें अपने गढ़ में भाजपा के नलिन सोरेन के हाथों 45,000 से अधिक वोटों से हार मिली थी।
नेतृत्व के कई मुकाम
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन वे कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद वे नौ दिन में ही बहुमत साबित न कर पाने के कारण इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद दो और बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन गठबंधन सरकारों की राजनीति के कारण दोनों ही बार कुछ ही महीनों में कुर्सी छोड़नी पड़ी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जताई श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक जताया। उन्होंने कहा, “उनका निधन सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ी क्षति है। उन्होंने आदिवासी पहचान और झारखंड राज्य निर्माण के लिए जीवन भर संघर्ष किया। मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और सांसद के रूप में भी उन्होंने अहम योगदान दिया। खासकर आदिवासी समाज की भलाई पर उनका जोर हमेशा याद किया जाएगा। मैं श्री हेमंत सोरेन जी सहित पूरे परिवार और चाहने वालों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।”
शिबू सोरेन का जाना झारखंड और देश की राजनीति में एक युग के अंत जैसा है। आदिवासी समाज, राज्य आंदोलन और सामाजिक न्याय की लड़ाई को उन्होंने नई दिशा दी, जिसकी यादें हमेशा देश के लोगों के दिलों में रहेंगी।










