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मध्य प्रदेश में बेरोजगारी हुआ खत्म !

By News Desk

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Unemployment ended in Madhya Pradesh!

भारत में बढ़ती बेरोजगारी के बीच मध्य प्रदेश के सरकारी आंकड़ों में बेरोजगार ढूंढने से नहीं मिल रहें। ऐसा लग रहा है मानों बेरोजगारी खत्म हो गई हो। लेकिन यह सच नहीं, दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार  ने अपने रोजगार पोर्टल पर “बेरोजगार युवा” के स्थान पर “आकांक्षी युवा” शब्द का प्रयोग किया है। यानी यदि बीमारी खत्म न हो तो नाम ही बदल दो।

सरकार के इस कदम को विपक्ष “नाम बदलो, काम खत्म” का मॉडल बता रहा है, जबकि सरकार का दावा है कि यह शब्द बेहतर रूप से युवाओं की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है।

मध्य प्रदेश सरकार ने अपने रोजगार पोर्टल पर एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। राज्य में अब तक जिन्हें “बेरोजगार” कहा जाता था, अब उन्हें “आकांक्षी युवा” के नाम से संबोधित किया जाएगा। सरकार के अनुसार, राज्य में 29.37 लाख से अधिक ऐसे “आकांक्षी युवा” हैं। यह कदम राज्य सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों, जैसे सड़कों, जिलों और स्टेशनों के नाम बदलने की एक बड़ी पहल जैसा ही है।

12,646 रुपये प्रति माह कमाने वाला बेरोजगार नहीं !

मध्य प्रदेश के कौशल विकास मंत्री गौतम टेटवाल ने इस नए नामकरण का समर्थन किया है। उनके अनुसार, रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगार लोगों की संख्या वास्तविक बेरोजगारी से भिन्न है। उन्होंने एक उदाहरण दिया कि यदि कोई व्यक्ति अपने पिता की दुकान पर काम करता है और साथ ही रोजगार कार्यालय में पंजीकृत है, तो वह वास्तव में बेरोजगार नहीं है।

टेटवाल ने आगे स्पष्ट किया कि एक व्यक्ति जो बिना स्थिर रोजगार के 12,646 रुपये प्रति माह से कम कमाता है, उसे बेरोजगार माना जा सकता है। हालांकि, उनका दावा है कि मध्य प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं है। सरकार का मानना है कि वह “आकांक्षी युवाओं” को आत्मनिर्भरता और उद्यमिता के माध्यम से रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है।

बेरोजगारी खत्म करने का भाजपा मॉडल: नाम बदलो, काम खत्म!

मध्य प्रदेश सरकार के इस कदम की विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा कड़ी आलोचना की गई है। कांग्रेस के अटेर के विधायक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर टिप्पणी की है कि यह “बेरोजगारी खत्म करने का भाजपा मॉडल: नाम बदलो, काम खत्म!” है।

उन्होंने व्यंग्यात्मक ढंग से लिखा है कि इस तर्क का अनुसरण करते हुए, “अब सरकारी अस्पतालों में मरीज नहीं होंगे, बस ‘स्वस्थता के आकांक्षी नागरिक’ होंगे। गरीबों को गरीबी नहीं सताएगी, वे होंगे ‘समृद्धि के उम्मीदवार’।” उनका तर्क है कि नाम बदलने से वास्तविक समस्या का समाधान नहीं होगा।

आंकड़ों के आईने में बेरोजगारी ?

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में 29.37 लाख से अधिक “आकांक्षी युवा” (पूर्व में बेरोजगार) हैं। यह संख्या राज्य में रोजगार की चुनौतियों की ओर इशारा करती है। हालांकि, सरकार का तर्क है कि इन आंकड़ों को वास्तविक बेरोजगारी की स्थिति नहीं माना जा सकता क्योंकि कई लोग अन्य गतिविधियों में संलग्न होने के बावजूद रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत हैं।

सरकार के पक्ष में यह भी कहा जा सकता है कि भारत जैसे विशाल देश में सरकारी नौकरियों का अनुपात कम होना स्वाभाविक है और युवाओं को उद्यमिता और स्वरोजगार जैसे विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए। हालांकि, प्रश्न यह उठता है कि क्या केवल शब्दावली परिवर्तन से इस दिशा में कोई ठोस प्रगति होगी?

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